आइए जानते हैं आईएमएफ लोन क्या है
जिसको लेकर काफी बवाल मचा हुआ है कि आखिर यह पाकिस्तान को क्यों दिया गया है,भारत के लोगों का मानना है कि यह पाकिस्तान को नहीं मिलना चाहिए था,
"आईएमएफ अर्थात इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड"
यह एक तरह की कमेटी है जो भारत में प्रायः देखने को मिल जाती है,पुरुषों के साथ साथ मुहल्ले की महिलाएं भी इस तरह के ग्रुप बना कर कमेटी चलाती हैं,इस कमेटी में कुल जमा 191 देश हैं,और हर देश की अपनी अपनी हिस्सेदारी है,हर देश अपने ग्लोबल इकोनॉमी साइज के अनुसार अपना हिस्सा देता है जो कोटा कहलाता है,जिसकी जितनी बड़ी ग्लोबल इकोनॉमी उसका उतना बड्डा योगदान,अमेरिका को उसकी ग्लोबल इकोनॉमी के आधार पर 16% का कोटा मिला है अर्थात वह आईएमएफ में 16% अपना योगदान देगा,
इसका दूसरा अर्थ यह हुआ जिसका जितने प्रतिशत योगदान उसके उतने प्रतिशत वोट तो अमेरिका के पास 16% वोटिंग पावर है और भारत के पास मात्र 3% कोटा है अर्थात भारत की ग्लोबल इकोनॉमी 3% है,भारत अपनी तरफ से तीन प्रतिशत की रकम आईएमएफ में डालेगा और उसको तीन प्रतिशत वोट देने को मिलेगा,
आईएमएफ कई प्रकार के लोन प्रोग्राम अपने 191 सदस्य देशों के लिए चलाती हैं, जो लोग भारत में कमेटिया चलाते हैं उन्हें मेरे समझाने के अनुसार आईएमएफ का फंडा समझ में आ गया होगा,
अब बात करे पाकिस्तान को मिले लोन की तो पाकिस्तान ने लोग टीम लोन के लिए आवेदन किया था टोटल आवेदन 7 बिलियन डॉलर का था,इस पर वोटिंग हुई और लोन पास हो गया,पाकिस्तान के पक्ष में 50% प्रतिशत से अधिक वोट पड़े भारत ने वोटिंग में भाग नहीं लिया, यहां यह उल्लेखनीय है कि आईएमएफ में वोट केवल yes में पड़ते हैं जो फेवर में नहीं हैं वह अनुपस्थित रहता है,या no वोट कर सकता है,
पाकिस्तान को लोन की पहली किस्त सवा बिलियन डॉलर की है जो वह मंहगाई रोकने में खर्च करेगा जैसा कि उसने आवेदन में लिखा है अब खर्च किस पर करता है यह तो सब को पता ही है,
इस लोन को दिलाने में सऊदी अरब, चाइना,कतर,तुर्की,आदि ने अहम भूमिका निभाई है, हालांकि आईएफएम पक्ष विपक्ष में पड़े वोटो को सार्वजनिक नहीं करता है अर्थात yes और no वोटों ka खुलासा नहीं करता है,यह केवल कयास है जो सच्चाई के नजदीक है,और यह बात किसी से छुपी भी नहीं है,
अब बात करें भारत की..... तो भारत ने इस लोन को लेकर विरोध जताया था लेकिन यह विरोध केवल बातों का विरोध था कायदे से भारत को इस लोन को लेकर लॉबिंग करना थी जो भारत नहीं कर पाया या फिर भारत के पास लॉबिंग करने के समीकरण नहीं थे,कही न कही अमेरिका भी पाकिस्तान को लोन दिए जाने के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है क्योंकि अगर अमेरिका चाहता तो पाकिस्तान को लोन नहीं मिल सकता था,
तो भैया यही है आईएमएफ के लोन की कहानी जो पाकिस्तान को मिल चुका है,
अब एक और पहलू जो युद्ध से संबंधित है अगर युद्ध चलता रहता तो सवा बिलियन डॉलर अर्थात भारत के लगभग 12 हजार करोड़,तो युद्ध काल में एक दिन का खर्च इस रकम से ज्यादा होता है तो इस लोन की रकम का कोई ज्यादा महत्व नहीं था,और दूसरी बात यह रकम अभी पाकिस्तान को मिली भी नहीं है,टोटल 7 बिलियन डॉलर में से 2 बिलियन डॉलर तो disbursement में चले गए हैं, पिछले 35 सालों में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 28 बार कर्ज लिया है,वही भारत ने वर्ष 1993 से आईएमएफ से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली है,
कुछ देशों का कोटा इस प्रकार है
अमेरिका ........16.5%
भारत............2.75%
चीन..............6.08%
जापान...........6.14%
यूके..............4.03%
ब्राजील...........3.06%
जर्मनी............5.31%
पाकिस्तान ........0.43%
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