अत्यंत #दुखद
ह्रदय फट जाता है ऐसा घटना देखकर
#मां #बाप #परिवार पर क्या गुजरता होगा।
---
**"#जाति के नाम पर #योग्यता का #चीरहरण – #IIT #JEE Main #2025 की कट-ऑफ पर सवाल जरूरी हैं"**
#निःशब्द हूँ…
IIT JEE Main 2025 के परिणामों ने न केवल लाखों छात्रों की मेहनत पर #प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है, बल्कि हमारी #शिक्षा #व्यवस्था की वर्तमान दिशा पर भी #गंभीर सवाल उठा दिए हैं।
◆ *#अदिति #मिश्रा – 90 परसेंटाइल – #Disqualified*
◆ *#हंसराज #मीणा – 47 परसेंटाइल – Qualified*
यह मात्र आंकड़े नहीं हैं। यह उन युवाओं के सपनों, संघर्ष और समर्पण की कहानी है जो रात-रात भर जागकर, परिवार की #आर्थिक तंगी को #अनदेखा कर सिर्फ एक ही सपना देखते हैं – “कुछ बनकर दिखाना।”
लेकिन आज सवाल यह है कि क्या #योग्यता अब भी इस देश में मायने रखती है?
**यह क्या है अगर योग्यता का #अपमान नहीं?**
जब एक सामान्य वर्ग (General Category) की छात्रा 90 परसेंटाइल लाकर भी योग्य नहीं मानी जाती, और एक अन्य छात्र 47 परसेंटाइल के साथ प्रवेश के योग्य ठहरा दिया जाता है, तो यह केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि *merit* की मौत है।
कहा जाता है कि **जाति मंदिर में नहीं पूछी जाती**, लेकिन प्रतियोगी परीक्षा में हर कदम पर पूछी जाती है।
जाति के आधार पर सीटें आरक्षित हैं, अंक में छूट है, फीस में छूट है, कट-ऑफ में अंतर है, और सुविधाओं की भरमार है।
लेकिन सवाल यह है कि *गरीब सवर्ण क्या करें?*
ना उन्हें कोई छूट मिलती है,
ना कोई सहानुभूति,
ना ही कोई आरक्षण।
वे अगर गरीब हैं, तो सिर्फ गरीब नहीं – *"अयोग्य"* भी हैं, क्योंकि उनकी जाति "सामान्य" है।
**क्या यही सामाजिक न्याय है?**
हम यह नहीं कह रहे कि पिछड़े वर्ग को अवसर न मिले।
मदद मिलनी चाहिए – लेकिन उसकी बुनियाद *आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन* पर होनी चाहिए, न कि जन्म के आधार पर।
**आज सवाल पूछना ज़रूरी है:**
- क्या 90 परसेंटाइल लाने वाले छात्रा का दोष सिर्फ उसका सामान्य वर्ग से होना है?
- क्या यह राष्ट्र केवल जातिगत पहचान के आधार पर आगे बढ़ेगा?
- क्या ये आरक्षण कभी समाप्त होगा या यही पीढ़ियों तक चलता रहेगा?
**अब वक्त आ गया है – नीति की पुनर्समीक्षा का।**
जरूरत है एक ऐसी व्यवस्था की, जहाँ *योग्यता, मेहनत, आर्थिक स्थिति और सामाजिक परिस्थितियाँ* – चारों को मिलाकर फैसला लिया जाए।